हिंदी व्याकरण के इस भाग मे आपको Anupras Alankar Ki Paribhasha के बारे मे बताया गया है तथा Anupras Alankar ke udaharan भी दिया गया है। आप मे से कई लोग नहीं जानते होंगे की Anupras Alankar Ke Bhed मे क्या होता है।
तो अनुप्रास अलंकार की जानकारी उदाहरण सहित दिया गया है साथ मे पूरा विवरण भी दिया गया है। जिससे आपको हर एक उदाहरण अच्छे से समझ मे आए। तो चलिए जानते है Anupras Alankar In Hindi के बारे में।
Anupras Alankar Ki Paribhasha – अनुप्रास अलंकार
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा – जिस काव्य पंक्ति में एक या एक से अधिक व्यंजन वर्णों की बार-बार तथा क्रमानुसार आवृत्ति होती है या पाया जाता है, उसे अनुप्रास अलंकार कहते है। उदाहरण-
चारू चन्द्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल-थल में।
इस वाक्य मे च वर्ण की आवृत्ति क्रमानुसार हो रही है, तो यहाँ अनुप्रास अलंकार होगा।
Anupras Alankar Ke Bhed – अनुप्रास अलंकार के भेद
अनुप्रास अलंकार के कुल पाँच भेद होते हैं, जो निम्नलिखित है-
- छेकानुप्रास अलंकार
- वृत्यानुप्रास अलंकार
- अन्त्यानुप्रास अलंकार
- श्रुत्यानुप्रास अलंकार
- लाटानुप्रास अलंकार
1) छेकानुप्रास अलंकार – जिस पद मे एक या अनेक वर्णों की एक ही क्रम में एक बार आवृत्ति होती है, वहाँ छेकानुप्रास अलंकार होता है। उदाहरण –
रीझि-रीझि, रहसि रहसि हँसि हँसि उठे, साँसैं भरि आँसू भरि कहत दई दई।
इस वाक्य मे रीझि-रीझि, रहसि-रहसि, दई-दई, हँसि-हँसि में व्यंजन वर्णों की आवृति समान स्वरूप में हुई है, तो यहाँ छेकानुप्रास अलंकार ही होगा।
पूर्ण अलंकार की जानकारी Alankar In Hindi PDF
2) अन्त्यानुप्रास अलंकार – जिस पद के अन्त मे एक ही वर्ण और एक ही स्वर की आवृत्ति हो, वहाँ अन्त्यानुप्रास अलंकार होता है।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीश तिहुँ लोक उजागर।।
इस वाक्य का अन्त “आगर” से हो रहा है तो यहाँ पर अन्त्यानुप्रास अलंकार होगा।
3) लाटानुप्रास अलंकार – जिन समानार्थक शब्दों या वाक्यांशों की आवृत्ति हो परन्तु अर्थ में अन्तर होता है, वहाँ पर लाटानुप्रास अलंकार होता है।
पूत सपूत, तो क्यों धन संचय?
पूत कपूत, तो क्यों धन संचय?
इसमे पहले तथा दुसरे लाइन मे एक ही शब्द का प्रयोग हुआ है, पर उनका अर्थ दोनो वाक्यों मे भिन्न है, इसलिए यहाँ पर लाटानुप्रास अलंकार होगा।
4) वृत्यानुप्रास अलंकार – जिस पद मे एक या अनेक व्यंजनों की अनेक बार क्रमतः आवृत्ति हो, तो वहाँ वृत्यानुप्रास अलंकार होता है।
कंकन, किंकिनि, नूपुर, धुनि, सुनि
इस वाक्य मे “न” की क्रमागत आवृत्ति पाँच बार हुई है अतः यहाँ पर वृत्यानुप्रास अलंकार होगा।
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5) श्रुत्यानुप्रास अलंकार – जिस वाक्य व पद मे एक ही उच्चारण स्थान से बोले जाने वाले वर्णों की आवृत्ति होती है, तो वहाँ श्रुत्यानुप्रास अलंकार होता है।
तुलसीदास सीदति निसिदिन देखत तुम्हार निठुराई।
इस वाक्य मे त, द, स, न एक ही उच्चारण स्थान से उच्चारित होने वाले वर्णों की कई बार आवृत्ति हुई है, अतः यहाँ श्रुत्यानुप्रास अलंकार है।
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अनुप्रास अलंकार के उदाहरण – Anupras Alankar Ke Udaharan
- चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल थल में। ( ‘च’ की आवृत्ति हुई है)
- कालिका सी किलकि कलेऊ देती काल को। ( ‘क’ की आवृत्ति हुई है)
- कालिंदी कूल कदंब की डारिन। ( ‘क’ की आवृत्ति हुई है )
- मुदित महिपति मंदिर आए, सेवक सचिव सुमंत बुलाए। ( ‘म’ और ‘स’ की आवृत्ति हुई है)
- तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए। ( ‘त’ की आवृत्ति हुई है)
- कूकै लगी कोयल कदंबन पर बैठी फेरि। ( क वर्ण की आवृति )
- बंदौ गुरु पद पदुम परगा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा। ( ‘प’ और ‘स’ की आवृत्ति हुई है)
- कल कानन कुंडल मोर पखा उर पे बनमाल विराजती है। ( ‘क’ की आवृत्ति हुई है )
- चमक गई चपला चम चम। ( ‘च’ की आवृत्ति हुई है)
- खेदी – खेदी खाती दीह दारुन दलन की। ( ‘ख’ और ‘द’ की आवृत्ति हुई है)
- बरसत बारिद बून्द गहि। ( ‘ब’ की आवृत्ति हुई है)
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अनुप्रास अलंकार FAQ
अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं?
जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति होती है, वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है।
छेकानुप्रास अलंकार किसे कहते हैं?
जहाँ अनेक व्यंजनों की एक बार पुनरावृत्ती हो व स्वरूपत: व क्रमश: आवृत्ति हो, वहाँ छेकानुप्रास अलंकार होता है।
अनुप्रास अलंकार के 5 उदाहरण?
Anupras Alankar Ke 5 Udaharan –
कल कानन कुंडल मोरपखा उर पा बनमाल बिराजती है।
सुरभित सुंदर सुखद सुमन तुम पर खिलते हैं।
कायर क्रूर कपूत कुचली यूँ ही मर जाते हैं।
कर कानन कुंडल मोर पखा।
मधुर मधुर मुस्कान मनोहर, मनुज वेश का उजियाला।
तो मेरे ख्याल से आपको Anupras Alankar Ki Paribhasha की जानकारी मिल गई होगी ही। साथ मे आपको इस पोस्ट मे anupras alankar ke bhed, अनुप्रास अलंकार के उदाहरण की जानकारी तथा anuprash alankar in hindi मे क्या होता है की जानकारी दी गई है।
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