नमस्कार, इस पोस्ट मे आपको हिंदी के एक और topic समास के बारे मे बताउंगा, की Samas In Hindi, Samas Kya Hota Hai तथा Samas Ke Prakar आदि। तो बस पोस्ट मे नीचे जाएं और इस पोस्ट को पूरा पढ़े।
Samas In Hindi Paribhasha
समास परिभाषा- जब दो शब्द व दो से अधिक शब्दों मे मिलकर बनने वाले एक सार्थक शब्द को समास कहते है। सम(संक्षिप्त) + आस (कथन) = समास, इसका अर्थ होता है संक्षिप्तीकरण करना।
समास मे प्रायः दो पद होते है, पहले पद को पूर्वपद तथा दूसरा पद उत्तरपद होता है। जैसे- प्रतिदिन मे प्रति, पूर्वपद तथा दिन, उत्तरपद है।
Samas Ke Bhed (समास के भेद)
समास के मुख्यतः छ प्रकार व भेद होते है-
- अव्ययीभाव समास
- तत्पुरूष समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
- द्वंद्व समास
- बहुव्रीहि समास
इनमे पदों की प्रधानता के अनुसार इनके विभाजित किया गया है-
- पूर्वपद प्रधान- अव्ययीभाव समास
- उत्तरपद प्रधान- तत्पुरूष, द्विगु, कर्मधारय समास
- दोनों पद प्रधान- द्वंद्व समास
- दोनों पद अप्रधान- बहुव्रीहि समास (इसमे अन्य पद प्रधान होता है)
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अव्ययीभाव समास
जिस समास मे पूर्वपद, अव्यय तथा प्रधान होता है। वह अव्ययीभाव समाज कहलाता है। अव्यय पद को परिवर्तित नहीं किया जा सकता।
जिस वाक्य मे पहला पद अनु, भर, आ, प्रति, हर, यथा आदि हो तो, वहाँ पर अव्ययीभाव समास होता है। जैसे-
- प्रति + दिन = प्रतिदिन (प्रत्येक दिन)
- यथा + स्थान = यथास्थान (स्थान के अनुसार)
- भर + पूर = भरपूर (पूरा भर के)
- आ + जन्म = आजन्म (जन्म से लेकर)
- निस् + संदेह = निस्संदेह (बिना संदेह के)
तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास मे उत्तरपद प्रधान होता है तथा पूर्वपद अप्रधान होता है। इसी के साथ दोनों पदों के मध्य मे कारक का लोप रहता है। तो इस प्रकार के समास को तत्पुरुष समास कहते है।
तत्पुरुष समास के रूप- कारकों के लोप के आधार पर तत्पुरुष समास के छः भेद है-
कर्म तत्पुरुष
जिस शब्द मे ‘को’ का लोप होता है वह कर्म तत्पुरूण होता है।
- मतदाता- मत को देने वाला
- ग्रामगत- ग्राम को गया हुआ
- ग्रन्थकार- ग्रन्थ को लिखने वाला
- सम्मानप्राप्त- सम्मान को प्राप्त
- गिरहकट- गिरह को काटने वाला
- यशप्राप्त- यश को प्राप्त
- चिड़ीमार- चिड़ियों को मारने वाला
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करण तत्पुरुष
जहाँ ‘से’ तथा ‘के द्वारा ‘ का लोप होना पाया जाता है, वहाँ करण तत्पुरुष होगा।
- गुणहीन- गुणों से हीन
- शोकाकुल- शोक से आकुल
- जन्मजात- जन्म से उत्पन्न
- करुणापूर्ण- करुणा से पूर्ण
- कष्टसाध्य- कष्ट से शाध्य
- सूरचित- सूरदास द्वारा रचित
- वाल्मीकिरचित- वाल्मीकि द्रारा रचित
सम्प्रदान तत्पुरुष
इसमे ‘के लिए’ का लोप होता है, इसे चतुर्थी तत्पुरुष भी कहते है। जैसे-
- सत्याग्रह- सत्य के लिए आग्रह
- युद्धभूमि- युद्ध के लिए भूमि
- रसोईघर- रसोई के लिए घर
- देशार्पण- देश के लिए अर्पण
- यज्ञशाला- यज्ञ के लिए शाला
- सभाभवन- सभा के लिए भवन
अपादान तत्पुरुष
इसमे ‘से’, यानि के से अलग होना का भाव होता है। जैसे-
- धनहीन- धन से हीन
- दूरागत- दूर से आगत
- पापमुक्त- पाप से मुक्त
- मदांध- मद से अन्धा
- गुणहीन- गुण से हीन
- पथभ्रष्ट- पथ से भ्रष्ट
- राजद्रोह- राजा से द्रोह
- भयभीत- भय से भीत
सम्बन्ध तत्पुरुष
जहाँ का, के, की का लोप होता है, वहाँ सम्बन्ध तत्पुरुष होता है। जैसे-
- दिनचर्या- दिन की चर्या
- भूदान- भू का दान
- पुष्पवर्षा- पुष्पों की वर्षा
- पराधीन- दूसरों के अधीन
- देशरक्षा- देश की रक्षा
- उद्योगपति- उद्योग का पति
- भारतरत्न- भारत का रत्न
- प्रेमसागर- प्रेम का सागर
अधिकरण तत्पुरुष
जहाँ ‘मे’ तथा ‘पर’ का लोप हो, वहाँ अधिकरण तत्पुरुष होता है। जैसे-
- घुड़सवार- घोड़े पर सवार
- नीतिनिपुण- नीति मे निपुण
- गृहप्रवेश- गृह मे प्रवेश
- जलज- जल मे जन्मा
- आपबीती- आप पर बीती
- नरोत्तम- नरों मे उत्तम
- ग्रामवास- ग्राम मे वास
- आत्मविश्वास- आत्मा पर विश्वास
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कर्मधारय समास
जिस समास मे पूर्वपद व उत्तरपद मे विशेषण व विशेष्य या उपमान-उपमेय का सम्बन्ध हो तथा उत्तरपद प्रधान हो, तो इसे कर्मधारय समास कहते है। इसको विग्रह करने पर इसके मध्य मे ‘के समान’ तथा ‘है जो’ आता है। जैसे-
- नीलकंठ- नीला है जो कंठ
- कालीमिर्च- काली है जो मिर्च
- नीलकमल- नीला है जो कमल
- महापुरुष- महान है जो पुरुष
- महावीर- महान है जो वीर
- महादेव- महान है जो देव
- पीताम्बर- पीला है जो अम्बर
- महात्मा- महान है जो आत्मा
- श्वेताम्बर- श्वेत है जो अम्बर
- लालटोपी- लाल है जो टोपी
- चन्द्रमुख- चन्द्र के समान मुख
- प्राणप्रिय- प्राणों के समान प्रिय
- मृगलोचन- मृग के समान लोचन
- घनश्याम- घन के समान श्याम
द्विगु समास
जिसमे पूर्वपद संख्या वचक है तथा उत्तरपद प्रधान हो, तो इसे द्विगु समास कहते है। इसको विग्रह करने पर संख्या का बोध होता है। जैसे-
- सप्तदीप- सात दीपों का समूह
- सप्ताह- सात दिनों का समूह
- नवरत्न- नौ रत्नों का समूह
- सतमंजिल- साज मंजिलों का समूह
- चौराहा- चार राहों का समूह
- दोपहर- दो पहरों का समूह
- त्रिलोक- तीन लोकों का समाहार
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द्वन्द्व समास
जिस समास मे उत्तरपद तथा पूर्वपद दोनो ही प्रधान होते हो तथा और, अथवा, एवं, या आदि का लोप हो तो, इसे द्वन्द्व समास कहते है। इसमे दो शब्दों के मध्य योजक (-) का चिन्ह होता है। जैसे-
- राम-कृष्ण= राम और कृष्ण
- माता-पिता= माता और पिता
- पाप-पुण्य= पाप और पुण्य
- सुख-दुःख = सुख और दुःख
- देश-विदेश= देश और विदेश
- आचार-विचार= आचार और विचार
- खरा-खोटा= खरा और खोटा
बहुव्रीहि समास
जहँ न ही पूर्वपद प्रधान हो तथा उत्तरपद प्रधान हो, यानी कोई तीसर पद प्रधान हो तो, इसको बहुव्रीहि समास कहते है। जैसे-
- लम्बोदर- लम्बा है जिसका उदर अर्थात गणेश
- नीलकण्ठ- नीला कण्ठ है जिसका अर्थात शिव
- गिरिधन- गिरि को धारण करने वाला अर्थात श्रीकृष्ण
- निशाचर- निशा मे विचरण करने वाला अर्थात राक्षस
- त्रिलोचन- तीन लोचन है जिसके अर्थात शिव
- चतुर्मुख- चार मुख है जिसके अर्थात ब्रह्म
- मुरधीधर- मुरली धारण है जिसके अर्थात श्रीकृष्ण
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समास पर आधारित कुछ प्रश्न
दिनकर में कौन सा समास है?
दिनकर यानी दिन में निकलने वाला – कर्मधारय समास है इस शब्द मे।
समास कितने प्रकार के होते हैं?
समास कुल 6 प्रकार के होते है- अव्ययीभाव समास, तत्पुरूष समास, कर्मधारय समास, द्विगु समास, द्वंद्व समास, बहुव्रीहि समास।
तत्पुरुष समास के प्रकार?
ये छः प्रकार का होता है- 1) कर्म तत्पुरुष समास, 2) करण तत्पुरुष समास, 3) सम्प्रदान तत्पुरुष समास, 4) अपादान तत्पुरुष समास, 5) सम्बन्ध तत्पुरुष समास, 6) अधिकरण तत्पुरुष समास
तो, आपको यह पोस्ट कैसा लगा जिसमे मैने Samas Kya Hota Hai, Samas Ke Prakar तथा Samas In Hindi PDF के बारे मे बताया है। अगर आपको समास से संबंधित कौई और प्रश्न पूछना है तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते है। बाकी पोस्ट अच्छी लगी तो इसे शेयर जरूर करे। धन्यवाद