Hindi Grammar के इस पोस्ट मे आप Yamak Alankar Ki Paribhasha की जानकारी दी गई है साथ मे Yamak Alankar In Hindi तथा Yamak Alankar Ke Udaharan आदि की पूरी जानकारी आपको इस पोस्ट मे दी गई है।
क्योंकि यमक अलंकार किसे कहते हैं? आदि के बारे मे छात्र लोग इंटरनेट पर काफी ज्यादा सर्च करते है, तो उन्ही के लिए मैने यह पोस्ट तैयार की है। जिसको पढ़ने के बाद मुझे यकीन है कि आपको यमक अलंकार याद हो जाएगा और ये आपकी आने वाली SSC, UPSSSC, UPSSSC PET आदि की परीक्षाओं मे भी काफी ज्यादा मदद करेगा।
यमक अलंकार (Yamak Alankar In Hindi)
यमक अलंकार की परिभाषा – जहाँ एक शब्द या शब्द समूह एक साथ या फिर अलग-अलग पद में उनकी आवृत्ति हो, किन्तु उनका अर्थ प्रत्येक बार भिन्न हो, उसे यमक अलंकार कहते है। यमक शब्द का अर्थ होता है, युग्मक या फिर जोड़ा। । यमक अलंकार मे शब्दों की दो बार आवृत्ति होती है।
जेते तुम तारे, तेते नभ में न तारे हैं
इस पंक्ति मे तारे शब्द दो बार आया है, परन्तु दोनो का अर्थ भिन्न-भिन्न है, जहाँ एक बार अर्थ तारण करना है तथा दूसरी बार उद्धार करना है। इसलिए यहाँ पर यमक अलंकार माना जाएगा।
इसे जरूर देखें पूरी जानकारी के लिए – अलंकार किसे कहते है
Yamak Alankar Ke Udaharan
इस भाग मे आपको यमक अलंकार के उदाहरण दिए गए है, जिनकों मैने उनके पहचान के आधार पर दिया है। तो इनको भी पूरा देखें और अच्छे से याद करें जिससे की बाद मे आपको यमक अलंकार परीक्षा मे पहचान्ने मे समस्या न है।
पंक्ति | पहचान |
कनक कनक तै सौ गुनी मादकता अधिकाय । वा खाए बौराए जग या पाए बौराए ।। | कनक – सोना कनक – धतूरा |
पच्छी परछिने ऐसे परे पर छीने बीर । तेरी बरछी ने बर छीने हे खलन के ।। | बरछी – तलवार बर छीने – बल को हरने वाला , |
काली घटा का घमंड घटा। | घटा – बादल घटा – कम होना |
पास ही रे , हीरे की खान खोजता कहां और नादान?” | ही रे – हे / होना हीरे – हिरा/रत्न |
रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून। पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।। | |
माला फेरत जुग भया मिटा न मनका फेर । कर का मनका डारि के मन का मनका फेर ।। | मनका – माला मन का – मन से |
जो घनीभूत पीड़ा थी मस्तक में स्मृति सी छाई। दुर्दिन में आंसू बनकर आज बरसने आई ।। | |
कबीरा सोई पीर है , जे जाने पर पीर । जे पर पीर न जानई , सो काफिर बेपीर ।। | पीर – धर्मगुरु पीर – पीड़ा /दुःख |
कहे कवि बेनी बेनी व्याल की चुराइ लीनी। | बेनी – कवी बेनी – चोटी |
इन्हे भी पढ़ें –
- व्यक्तिवाचक संज्ञा (परिभाषा, नियम एवं उदाहरण)
- जातिवाचक संज्ञा (परिभाषा, नियम एवं उदाहरण)
- भाववाचक संज्ञा (परिभाषा एवं उदाहरण)
- समूहवाचक संज्ञा (परिभाषा, नियम एवं उदाहरण)
यमक अलंकार के उदाहरण
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी।
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती है।।
तोपर वारौं उर बसी, सुन राधिके सुजान।
तू मोहन के उर बसी ह्वे उरबसी सामान।
किसी सोच में हो विभोर साँसें कुछ ठंडी खिंची।
फिर झट गुलकर दिया दिया को दोनों आँखें मिंची।।
बरजीते सर मैन के, ऐसे देखे मैंन
हरिनी के नैनान ते हरिनी के ये नैन।
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डारि दै, मन का मनका फेर।।
केकी रव की नुपुर ध्वनि सुन,
जगती जगती की मूक प्यास।
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी।
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती है।।
यमकालंकारः संस्कृत (Yamak Alankar Sanskrit)
अर्थे सत्यर्थभिन्नानां वर्णानां सा पुनः श्रुतिः
जिस काव्य में एक शब्द कई बार आकर अलग-अलग अर्थ दे, वहाँ यमक अलंकार होता है।
यमक अलंकार उदाहरणस्वरूप
अनन्तमहिमव्याप्तविश्वां वेधा न वेद याम् ।
या च मातेव भजते प्रणते मानवे दयाम् ।।
सन्नारीभरणोमायमाराध्य विधुशेखरम् ।।
सन्नारीभरणोऽमायस्ततस्त्वं पृथिवीं जय ।।
Yamak Alankar FAQ
यमक अलंकार किसे कहते हैं?
जिस काव्य में एक शब्द या शब्द समूह मे कई बार आकर अलग-अलग अर्थ दे, उसे यमक अलंकार कहते है।
यमक अलंकार के कितने भेद हैं?
यमक अलंकार के दो भेद हैं-
1- अभंग पद यमक अलंकार (abhang pad yamak alankar)
2- सभंग पद यमक अलंकार (sabhang pad yamak alankar)
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