Veer Savarkar In Hindi: वीर सावरकर ने देश के लिए क्या किया? क्या है वीर सावरकर की माफी का सच

इस पोस्ट में मै आपको Veer Savarkar In Hindi, Veer Savarkar Kaun The, Savarkar Ne Kya Kiya, Savarkar Ji Ne Angrejo Se Mafi Mangi Thi? तथा वीर सावरकर ने देश के लिए क्या किया? इन सभी प्रश्नो का उत्तर मैने आपको इस पोस्ट मे देने का प्रयास किया है। साथ ही Swatantra Veer Savarkar Movie के बारे मे भी इसी पोस्ट मे जानेंगे।

Veer Savarkar In Hindi

Veer Savarkar In Hindi

इनका पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर, उपना वीर या Veer Savarkar था, इनका जन्म 28 मई, 1883, भागुर, भारत – मृत्यु 26 फरवरी, 1966, मुंबई मे हुआ था, ये हिंदू और भारतीय राष्ट्रवादी और हिंदू महासभा (“हिंदुओं का महान समाज”) ”), एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन और राजनीतिक दल से भी थें।

लंदन में कानून के पढ़ाई (1906-10) के दौरान, सावरकर ने तोड़फोड़ और हत्या के तरीकों में भारतीय क्रांतिकारियों के एक समूह को निर्देश देने में मदद की, जो कि उनके सहयोगियों ने पेरिस में प्रवासी रूसी क्रांतिकारियों से स्पष्ट रूप से सीखा था। इस अवधि के दौरान उन्होंने द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस, 1857 (1909 में) लिखा, जिसमें उन्होंने विचार किया कि 1857 का भारतीय विद्रोह ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारतीय जन विद्रोह की पहली अभिव्यक्ति थी और इन्ही के कारण आज हम 1857 को आज़ादी के क्रांति के रूप मे मानते है। क्योंकि इससे पहले किसी ने भी 1857 को क्रांती नहीं माना था, खास कर अंग्रेज।

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मार्च 1910 में सावरकर को तोड़फोड़ और युद्ध के लिए उकसाने से संबंधित विभिन्न आरोपों में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें मुकदमे के लिए भारत भेजा गया था और दोषी ठहराया गया था। एक दूसरे मुकदमे में उन्हें भारत में एक ब्रिटिश जिला मजिस्ट्रेट की हत्या में उनकी कथित मिलीभगत का दोषी ठहराया गया था, और सजा सुनाए जाने के बाद, उन्हें “जीवन भर के लिए” नजरबंदी के लिए अंडमान द्वीप ले जाया गया। उन्हें 1921 में भारत वापस लाया गया और 1924 में नज़रबंदी से रिहा कर दिया गया। कैद के दौरान उन्होंने हिंदुत्व लिखा: हिंदू कौन है? (1923), हिंदुत्व (“हिंदूपन”) शब्द गढ़ा, जिससे उन्होंने भारतीय संस्कृति को हिंदू मूल्यों की अभिव्यक्ति के रूप में परिभाषित करने की मांग की; यह अवधारणा हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा का एक प्रमुख सिद्धांत बन गई।

सावरकर 1937 तक रत्नागिरी, भारत में रहे, जब वे हिंदू महासभा में शामिल हो गए, जिसने भारतीय मुसलमानों पर धार्मिक और सांस्कृतिक वर्चस्व के हिंदुओं के दावों का उग्र रूप से बचाव किया। उन्होंने सात साल तक महासभा के अध्यक्ष के रूप में सेवा की। 1943 में वे मुंम्बई चले गए। जब 1948 में महासभा के एक पूर्व सदस्य द्वारा मोहनदास के. गांधी की हत्या कर दी गई थी, तो वीर सावरकर को फंसाया गया था, लेकिन अपर्याप्त सबूतों के कारण उन्हें बाद के मुकदमे में बरी कर दिया गया था।

सावरकर कहते थे, ‘माता भूमि पुत्रो अहम् पृथिव्याः।‘ ये भारत भूमि ही मेरी माता है और मैं इसका पुत्र हूं। वीर विनायक दामोदर सावरकर हमारे नायक थे, हैं और हमेशा रहेंगे।

वीर सावरकर की माफी का सच

वीर सावरकर को पहली बार वर्ष 1909 में लंदन से गिरफ्तार किया गया था। उन पर महाराष्ट्र के नासिक में ब्रिटिश जिला कलेक्टर ए.एम.टी. जैक्सन की हत्या की साजिश रचने का आरोप था। उन पर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह भड़काकर युद्ध जैसी स्थिति पैदा करने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया गया था। अर्थात इससे यह सिद्ध होता है कि उस समय की ब्रिटिश सरकार उन्हें अपना सबसे बड़ा शत्रु मानती थी और भारत की जनता के लिए वे सबसे बड़े क्रांतिकारी थे। महात्मा गांधी से भी बड़े, क्योंकि तब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत नहीं आए थे।

लंदन से गिरफ्तारी के बाद, उन्हें वर्ष 1911 में अंडमान और निकोबार द्वीप में सेलुलर जेल भेज दिया गया, जिसे उस समय काला पानी जेल या काला पानी सजा के रूप में भी जाना जाता था। इस सजा के दौरान वीर सावरकर को भयानक यातनाएं दी गईं, जिसके बाद उन्होंने 30 अगस्त 1911 को ब्रिटिश सरकार को पहला पत्र लिखकर अपनी सजा माफ करने की गुहार लगाई, लेकिन यह याचिका 3 दिन बाद खारिज कर दी गई।

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इसके बाद 14 नवंबर, 1913 को उन्होंने एक और याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह न करने का आश्वासन दिया, हालांकि इतिहासकारों में इस बात को लेकर मतभेद हैं कि इस पत्र को सिर्फ माफीनामा माना जाए या युद्ध की रणनीति। क्योंकि सावरकर जानते थे कि जेल में बंद रहकर क्रांति नहीं लाई जा सकती और इसके लिए बाहर आना बहुत जरूरी है. उन्होंने 10 साल तक काले पानी की भयानक सजा काटी और इस दौरान कुल 6 क्षमा याचिकाएं ब्रिटिश सरकार को भेजीं। इनमें से 5 पत्र 1911 से 1919 के बीच लिखे गए

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महात्मा गांधी के कहने पर माफी मांगी?

बताया यह जाता है कि महात्मा गांधी ने वीर सावरकर को ब्रिटिश सरकार से माफी मांगने की सलाह दी थी। यह बात उदय माहुरकर और चिरायु पंडित की किताब ‘Veer Savarkar: The Man Who Could Have Prevented Partition‘ के विमोचन कार्यक्रम में बोला गया था। इसमे कहा गया था कि ‘सावरकर के खिलाफ झूठ फैलाया गया कि उन्होंने अपने लिए अंग्रेजों के यहां दया याचिका दायर की थी। गांधी ने भी कहा था कि जैसे हम आजादी के लिए प्रयास कर रहे हैं, वैसे ही सावरकर भी आजादी के लिए प्रयास कर रहे हैं। जेल में अपनी सजा काटते हुए सावरकर ने महात्मा गांधी की सलाह पर अंग्रेजों से माफी मांगी थी। सावरकर प्रखर क्रांतिकारी थे और हैं, लेकिन सावरकर पर लेनिनवादी-मार्क्सवादी विचार के लोग आरोप लगाते हैं और साथ मे शांतीदूत भी।

जब पहले विश्व युद्ध के बाद जारी हुआ ऑर्डर

साल 1919 में प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन के किंग जॉर्ज 5वें ने एक आदेश जारी किया, जिसके तहत जेलों में बंद सभी राजनीतिक कैदियों को माफ़ कर दिया गया. यह उस समय भारत के लोगों के लिए ब्रिटेन की देन थी, क्योंकि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान महात्मा गांधी सहित कई नेताओं ने अंग्रेजों के प्रति वफादारी की शपथ ली थी। इस आदेश के तहत अंडमान की सेल्युलर जेल से भी कई कैदियों को रिहा किया गया, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने तय किया कि वह वीर सावरकर और उनके बड़े भाई गणेश दामोदर सावरकर को क्षमा नहीं करेगी।

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इसके बाद सावरकर के छोटे भाई नारायण राव सावरकर ने 18 जनवरी, 1920 को महात्मा गांधी को एक पत्र लिखा, जिसका उल्लेख विक्रम संपत ने अपनी पुस्तक ‘सावरकर: इकोज ऑफ ए फॉरगॉटन पास्ट‘ के पृष्ठ 359 में किया है। इसमें वे लिखते हैं कि 17 जनवरी 1920 को उन्हें भारत सरकार से सूचना मिली कि अंडमान की सेल्युलर जेल से रिहा किए जा रहे राजनीतिक कैदियों में सावरकर और उनके बड़े भाई नहीं हैं। इससे साफ है कि सरकार उन्हें जेल से रिहा नहीं करेगी। वह महात्मा गांधी से कहते हैं कि उन्हें उनकी मदद करनी चाहिए कि ऐसी स्थिति में आगे क्या करना है। इसमें वे यह भी लिखते हैं कि सावरकर लगभग 10 साल से सीवेज की सजा काट रहे हैं और उनका स्वास्थ्य बहुत खराब है और उनका वजन भी 45 किलो कम हो गया है। अंत में वह लिखता है कि उसे उम्मीद है कि महात्मा गांधी इस मामले में उसकी मदद करेंगे।

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एक हफ्ते बाद 25 जनवरी 1920 को महात्मा गांधी ने इस पत्र का जवाब दिया। इसमें वे लिखते हैं कि मुझे आपका पत्र मिल गया है। इस मामले पर कोई सलाह देना मुश्किल है, लेकिन मेरा सुझाव है कि आप एक विस्तृत याचिका तैयार करें, जिसमें तथ्यों को इस तरह पेश किया जाए कि वीर सावरकर एक राजनीतिक कैदी हैं। इस वजह से लोगों का ध्यान भी इस मामले पर जाएगामहात्मा गांधी के इस सुझाव के बाद ही वीर सावरकर ने अपनी छठी और अंतिम याचिका ब्रिटिश सरकार को भेजी, जिसे बाद में बाकी याचिकाओं की तरह खारिज कर दिया गया। 25 जनवरी के अपने पत्र में महात्मा गांधी ने वीर सावरकर के छोटे भाई को एक और बात लिखी थी। उन्होंने कहा था कि जैसा कि मैं आपको पहले ही बता चुका हूं कि मैं पहले से ही इस दिशा में काम कर रहा हूं, इसका अर्थ है कि महात्मा गांधी भी सावरकर को मुक्त कराने का प्रयास कर रहे थे इसके लिए उन्होंने 26 मई, 2020 को यंग इंडिया अखबार में ‘सावरकर ब्रदर्स’ शीर्षक से एक लेख लिखा।

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महात्मा गांधी ने यंग इंडिया लेख में लिखा है कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि वीर सावरकर और उनके बड़े भाई के खिलाफ हिंसा के आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं और ग्रेट ब्रिटेन के किंग जॉर्ज पंचम के आदेश से उन्हें रिहा किया जाना चाहिए। वर्ष 1906 में जब सावरकर लंदन में कानून की पढ़ाई कर रहे थे और वहां इंडियन हाउस में रह रहे थे, जो एक तरह का छात्रावास था, महात्मा गांधी उनसे मिलने वहां गए। उस समय का एक किस्सा है कि गांधी को कांपते देख सावरकर ने रात के खाने में मांसाहारी भोजन तैयार किया था। गांधी के हाव-भाव देखकर वीर सावरकर ने उनसे कहा था कि हमें ऐसे लोग चाहिए जो अंग्रेजों को जिंदा खा जाएं, आप तो मांसाहारी देखकर ही बौखला गए। इस कथन से सावरकर की वीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

वीर सावरकर कुल 15 साल कैद में रहे, जिसमें से 10 साल उन्होंने सबसे खराब जेल माने जाने वाले काला पानी में गुजारे। इसके अलावा उन्हें भी महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में 13 साल तक नजरबंद रखा गया थासोचिए जिस स्वतंत्रता सेनानी ने देश की आजादी के लिए लगभग 28 साल भयानक यातनाओं में गुजारे, क्या उनकी देशभक्ति पर संदेह किया जा सकता है? दुर्भाग्य की बात यह है कि काला पानी की सजा पाने वाले वीर सावरकर को हमारे देश के कुछ कथाकथित लोग कायर कहते है, लेकिन जिन नेताओं ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अपने पसंदीदा जेल में सभी सुविधाओं के साथ अपने दिन बिताए, उन्हें वीर क्रांतिकारी कहा जाता है। जैसे इनमें प्रखर नाम जवाहरलाल नेहरू जी का भी शामिल हैं, जिन्हें गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया गया था, जहां उन्हें सभी सुविधाएं दी गई थीं। अंग्रेजी सरकार ने उन्हें पढ़ने के लिए किताबें भी दीं। इस मामले पर उनके पोते रंजीत सावरकर ने भी प्रतिक्रिया दी है, जिन्होंने कहा कि वे महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता नहीं मानते हैं।

सावरकर पर विवाद क्यों?

सावरकर और महात्मा गांधी की दोस्ती सावरकर से नफरत करने वाले विशेष वर्ग को बर्दाश्त नहीं हो रही है और वे इस सिद्धांत को नकार रहे हैं कि महात्मा गांधी ने कभी वीर सावरकर की मदद करने की कोशिश की थी। इतिहास के तथ्य बताते हैं कि, महात्मा गांधी ने भी 1920 में एक लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने सावरकर का समर्थन किया था और अंग्रेजों से उन्हें रिहा करने की अपील की थी।

वीर सावरकर को लेकर दोहरा मापदंड क्यों?

लेकिन हमारे देश के डिजाइन इतिहासकारों ने कभी भी महात्मा गांधी के फैसलों को उस चश्मे से नहीं पढ़ा जिसके जरिए वे वीर सावरकर की क्षमादान की याचिका को देखते थे और हमारे देश में आज भी यही सच है। उन वीर क्रांतिकारियों के बारे में सोचिए जिन्होंने इस देश को आजाद कराने के लिए दशकों तक अत्याचार सहे। सावरकर पर किताब लिखने वाले उदय माहुरकर का यह भी कहना है कि गांधी की सलाह पर सावरकर ने 1920 में क्षमादान याचिका दायर की थी

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इंदिरा गांधी जी का लेटर वीर सावरकर जी से संबंधित

indira gandhi letter on veer savarkar

वीर सावरकर जी द्वारा लिखा गया पत्र

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महात्मा गांधी जी के लेटर्स, को लेकर भी कुछ लोग इस प्रकार के लेटर्स को दिखाते हैं।

mahatma gandhi letter to british

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सावरकर ने दिया ‘हिंदुत्व’ शब्द

वर्ष 1923 में जेल में रहते हुए वीर सावरकर ने ‘हिन्दुत्व: हिन्दू कौन है?’ नामक पुस्तक लिखी। आज की राजनीति में आप हिंदुत्व शब्द बार-बार सुनते हैं। यह शब्द वीर सावरकर ने ही गढ़ा था। वर्ष 1924 के बाद, उन्हें हाउस अरेस्ट से रिहा कर दिया गया लेकिन रत्नागिरी छोड़ने की अनुमति नहीं दी गई। ब्रिटिश नजरबंदी से रिहा होने के बाद, वीर सावरकर ने अपना ध्यान हिंदुओं को एकता के सूत्र में पिरोने और हिंदू पुनरुत्थान की ओर लगाया। उन्होंने हिंदू धर्म में अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिए अभियान चलाया और सह-भोज पर विशेष जोर दिया, यानी छोटी जातियों और उच्च जातियों के लोगों को एक साथ खाना। जब वे वर्ष 1937 में पूरी तरह से मुक्त हो गए, तो वे हिंदू महासभा के अध्यक्ष बने। वर्ष 1948 में नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी। वीर सावरकर पर भी इस हत्याकांड का आरोप लगाया गया था, लेकिन पर्याप्त सबूत न होने के कारण उन्हें छोड़ दिया गया थाराष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने वीर सावरकर को अपने आदर्श पुरुषों में शुमार किया है। पहले जनसंघ और फिर भारतीय जनता पार्टी ने वीर सावरकर को अपना आदर्श पुरुष मानापूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी वीर सावरकर से काफी प्रभावित थे।

Atal Bihari Vajpayee Speach On Savarkar In Hindi

वीर सावरकर का स्वतंत्रता की देवी के लिए भजन

Jayostute
(original in Marathi)
ज्योस्तु तेश्रीमहन्मंगले। शिवास्पदे शुभदे
स्वतंत्रते भगवति। त्वामहं यशोयुतां वंदे
राष्ट्राचेचैतन्य मूर्त तूं नीतिसंपदांची
स्वतंत्रते भगवति। श्रीमतीराज्ञीतूत्यांची
परवशतेच्यानभांत तूंचीआकाशीहोशी
स्वतंत्रते भगवती। चांदणी चमचम लखलखशी।।
गालावरच्याकुसुमीकिंवाकुसुमांच्यागाली
स्वतंत्रते भगवती। तूचजीविलसतसे लाली
तूं सूर्याचेतेजउदधिचेगांभीर्यहि तूंची
स्वतंत्रते भगवती। अन्यथा ग्रहण नष्ट तेंची।।

मोक्ष मुक्तिहीतुझीच रूपें तुलाच वेदांती
स्वतंत्रते भगवतीIयोगिजनपरब्रह्म वदती
जेजेउत्तमउदात्तउन्नतमहन्मधुर तेंतें
स्वतंत्रते भगवती। सर्व तवसहचारी होते।।

हे अधम रक्त रंजिते। सुजन-पुजिते! श्रीस्वतंत्रते
तुजसाठिं मरण तें जनन
तुजविणजननतेमरण
तुजसकलचराचरशरण
स्वतंत्रते भगवतीIत्वामहं यशोयुतांवंदे।।

वीर सावरकर जी का जन्म, जाति, परिचय

पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर
अन्य नामवीर सावरकर
निक नामवीर सावरकर
शैली (Genre)वकालत करना, हिंदुत्व का प्रचार करना
पेशा (Profession)वकील, राजनीतिज्ञ, लेखक और कार्यकर्ता
जन्म स्थान (Birth Place) नासिक, मुंबई, भारत
जन्म (Birth)28 मई 1883
मृत्यु (Death)26 फरवरी 1966
गृहनगर (Hometown)नासिक
राष्ट्रीयता (Nationality)भारतीय
पसंद (Hobbies)भारत देश को हिंदुत्व की ओर ले जाना
जाति (Caste)हिंदू, ब्राह्मण
खाने में पसंद (Food Habit)शाकाहारी
पत्नी का नाम (Wife’s name)यमुनाबाई
शैक्षिक योग्यता (Educational Qualification)वकालत
वैवाहिक स्थिति (Marital Status)मैरिड
प्रेरणा स्त्रोत (Role Model)बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, विपिन चंद्र पाल

Vinayak Damodar Savarkar History

  • विनायक दामोदर सावरकर ने तोड़फोड़ और हत्या की तकनीकों में भारतीय क्रांतिकारियों के एक कैडर को प्रशिक्षित करने में सहायता की, जो उनके सहयोगियों ने कथित तौर पर पेरिस में रूसी निर्वासित क्रांतिकारियों से सीखा था, जबकि सावरकर लंदन में कानून के छात्र थे (1906-10)।
  • विनायक दामोदर सावरकर ने इस समय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, 1857 (1909) लिखा, जिसमें उन्होंने राय व्यक्त की कि 1857 का भारतीय विद्रोह ब्रिटिश औपनिवेशिक नियंत्रण के लिए व्यापक भारतीय प्रतिरोध की पहली अभिव्यक्ति थी।
  • सावरकर को मार्च 1910 में हिरासत में लिया गया था और भारत में प्रत्यर्पित किया गया था जहां उन पर मुकदमा चलाया गया और उन्हें कई तोड़फोड़ और युद्ध-संबंधी आरोपों के लिए दोषी पाया गया।
  • भारत में एक ब्रिटिश जिला मजिस्ट्रेट की हत्या में उनकी संदिग्ध संलिप्तता के दूसरे परीक्षण में दोषी पाए जाने के बाद उन्हें अंडमान द्वीप समूह पर जेल में “आजीवन” की सजा सुनाई गई थी।
  • 1921 में, उन्हें भारत लौटा दिया गया और 1924 में उन्हें हिरासत से मुक्त कर दिया गया।
  • विनायक दामोदर सावरकर ने 1937 के बाद बड़े पैमाने पर दौरा करना शुरू किया, एक प्रेरक वक्ता और लेखक के रूप में विकसित हुए जिन्होंने हिंदू राजनीतिक और सामाजिक एकता को बढ़ावा दिया।
  • उन्होंने 1938 में मुंबई के मराठी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता की। सावरकर ने हिंदू महासभा (हिंदू राष्ट्र) के अध्यक्ष के रूप में सेवा करते हुए भारत की हिंदू राष्ट्र के रूप में धारणा का समर्थन किया।
  • जब मुसलमान “पाकिस्तान के अपने दिवा-स्वप्न से जागे,” सावरकर ने सिखों से वादा किया, “वे पंजाब में एक सिखिस्तान देखेंगे।”
  • सावरकर ने हिंदू धर्म, हिंदू राष्ट्र और हिंदू राज के बारे में बात करने के अलावा सिखिस्तान बनाने के लिए पंजाब में सिखों पर भरोसा करने की मांग की।
  • सावरकर 1937 तक रत्नागिरी में रहे, जब वे हिंदू महासभा में शामिल हो गए, जो एक ऐसा संगठन है जो आक्रामक रूप से भारतीय मुसलमानों पर धार्मिक और सांस्कृतिक श्रेष्ठता के हिंदू दावों को बरकरार रखता है।
  • सात वर्षों तक उन्होंने महासभा की अध्यक्षता की।
  • विनायक दामोदर सावरकर 1943 में बंबई में सेवानिवृत्त हुए।
  • सावरकर को 1948 में महासभा के एक पूर्व सदस्य द्वारा मोहनदास के. गांधी की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था; हालाँकि, उसके बाद के मुकदमे में उसे दोषी ठहराने के लिए अपर्याप्त सबूत थे।

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वीर सावरकर माफ़ीनामा (माफ़ी का सच)

जब वीर सावरकर को काले पानी की सजा सुनाई गई, तो उन्होंने ब्रिटिश सरकार को एक याचिका दी, जिसमें उन्होंने कहा कि – ‘अगर उन्हें रिहा किया जाता है, तो वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलनों से अलग हो जाएंगे, और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ होंगे। बिल्कुल वफादार रहूंगा‘ और जब वह अपनी सजा पूरी करके जेल से बाहर आए तो उन्होंने अपना वादा नहीं तोड़ा और वह किसी भी क्रांतिकारी गतिविधि में शामिल नहीं हुए। हालांकि इस माफीनामे की सच्चाई क्या है, इसकी जानकारी किसी को नहीं है, क्योंकि इसका कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। इस मामले को लेकर काफी विवाद हो चुका है। विवाद इसलिए होता रहा है क्योंकि केंद्र सरकार वीर सावरकर को भारत रत्न देना चाहती है। लेकिन कांग्रेस ने हर बार केंद्र सरकार पर निशाना साधा है कि वीर सावरकर भारत रत्न के लायक नहीं हैं।

10 lines On Veer Savarkar In English

  1. Vinayak Damodar Savarkar was a freedom fighter, social activist, writer, etc.
  2. Vinayak Damodar Savarkar was the formulator of the ‘Hindutva’ philosophy.
  3. Vinayak Damodar Savarkar was born on 28th May 1833 in Nashik, Maharashtra.
  4. Savarkar in his early teenage organized a group of youth called ‘Mitr Mela’.
  5. While in London Savarkar united all the Indian students for freedom of the struggle.
  6. Savarkar used to organize ‘Shivaji Jayanti’ and ‘Ganesh Utsav’ started by Tilak.
  7. After receiving elementary education, Savarkar went to Fergusson College, Pune.
  8. Firstly, Savarkar was in Yeravda jail and then shifted into Andaman cellular jail.
  9. Savarkar was arrested in London for involvement in revolutionary activities.
  10. Savarkar died on 24th February 1911 in Bombay due to his bad health condition.

10 lines On Veer Savarkar In Hindi

  1. विनायक दामोदर सावरकर एक स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक आदि थे।
  2. विनायक दामोदर सावरकर ‘हिंदुत्व’ दर्शन के सूत्रधार थे।
  3. विनायक दामोदर सावरकर का जन्म 28 मई 1833 को महाराष्ट्र के नासिक में हुआ था।
  4. सावरकर ने अपनी प्रारंभिक किशोरावस्था में ‘मित्र मेला’ नामक युवाओं के एक समूह का आयोजन किया।
  5. सावरकर तिलक द्वारा शुरू की गई ‘शिवाजी जयंती’ और ‘गणेश उत्सव’ का आयोजन करते थे।
  6. प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद सावरकर पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज गए।
  7. लंदन में रहते हुए सावरकर ने सभी भारतीय छात्रों को संघर्ष की स्वतंत्रता के लिए एकजुट किया।
  8. क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में सावरकर को लंदन में गिरफ्तार किया गया था।
  9. पहले सावरकर यरवदा जेल में थे और फिर अंडमान सेलुलर जेल में स्थानांतरित कर दिए गए।
  10. खराब स्वास्थ्य के कारण 24 फरवरी 1911 को सावरकर की बंबई में मृत्यु हो गई।

FAQ On Veer Savarkar

वीर सावरकर को किस वर्ष गिरफ्तार किया गया था?

वीर सावरकर को वर्ष 1910 में गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें साजिश के आरोप में आजीवन कारावास की सजा दी गई और 50 साल के लिए अंडमान और निकोबार द्वीप भेज दिया गया।

भारत में वीर सावरकर जयंती कब मनाई जाती है?

स्वतंत्र वीर सावरकर जयंती हर साल 28 मई को इस पूर्व स्वतंत्रता कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ के प्रयासों को मनाने के लिए मनाई जाती है।

वीर सावरकर का पूरा नाम क्या था?

इनका पूरा नाम Vinayak Damodar Savarkar है और वे वीर थे और रहेंगे।

मेरे ख्याल से आप सभी को Veer Savarkar In Hindi, Veer Savarkar Kaun The, Savarkar Ne Kya Kiya, Savarkar Ji Ne Angrejo Se Mafi Mangi Thi? की जानकारी मिल गई होगी, अगर इससे संबंधित कोई जानकारी आपको लेनी हो या फिर कोई सुझाव हो तो पोस्ट को शेयर जरूर करें। बाकी पोस्ट मे कोई खामी हो तो आप नीचे कमेंट करके बता सकते हैं।

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