इस पोस्ट मे हम जानेंगे की Bhartiya Samvidhan ki prastavna हिंदी मे क्या है? तथा भारत की प्रश्तावना मे क्या-क्या बात कही गई है। इस पोस्ट मे मैने भारतीय संविधान की प्रस्तावन के बारे मे, उसके महत्व के बारे मे बताया है।
भारत देश के संविधान मे सबसे पहले अगर कुछ आता है तो वह भारतीय संविधान की प्रस्तावन ही है। जिसमे भारत देश के मूल ढांचे के बारे मे बताया गया है। तो चलिए जानते है भारतीय संविधान के प्रस्तावना हिंदी में।
Bhartiya Samvidhan Ki Prastavna In Hindi
प्रस्तावना को ही भारतीय संविधान का परिचय कहते है। इसे संविधान का आमुख भी कहते है। 13 दिसंबर 1946 को नेहरू द्वारा पेश किए गए उद्देश्य प्रस्ताव को ही संविधान के प्रस्तावना के रूप मे ही शामिल किया गया था।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना मे लिखा है, “हम भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथ-निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को – सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासा की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविदान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी संवत 2006 विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।”
इतने मे ही हमे यह ज्ञात होता है की इसमे ही पूर्ण संविधान को समाहित कर दिया है, इसी नाते सुप्रिम कोर्ट ने भारत की प्रस्तावना को संविधान की आत्मा कहा है।
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भारतीय संविधान की प्रस्तावना हिंदी में
यहाँ हम भारत के लोग से तात्पर्य भारत के ही लोगों से है, जोकि भारत देश का नागरिक है। तो हम भारत के लोग भारत देश को एक प्रभुत्वसंपन्न, समाजवादी, पंथ निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने कार्य करेंगे।
हमारे देश मे संविधान बनाते समय इन बातो का ध्यान रखा गया कि वो ऐसा कुछ बनाए जिससे की भारत के प्रत्येक नागरिक चाहे वह किसी भी धर्म, जाती, समुदाय, या कहीं का भी हो, पर वो सब मिल कर एक साथ खुशी के साथ रहे और किसी के मन मे कोई द्वेश आदि की भावना न रहे। चलिए अब जानते है खुच मत्वपूर्ण शब्दो को विस्तार से-
Bhartiya Samvidhan Ki Prastavna के प्रमुख शब्द
यहाँ मैने कुछ शब्द का प्रस्तावना अर्थ बताया है, जो संविधान की प्रस्तावना मे दिए गये है। बहुत लोग इन शब्दो के मतबल मे confuse रहते है तो मैने यहाँ कुछ अच्छे से बताने का प्रयास किया है। तो यहाँ मैने भारतीय संविधान के प्रस्तावना में निहित मुख्य सिद्धांतों की व्याख्या की है।
- प्रभुत्वसंपन्न – हम भारत को प्रभुत्वसंपन्न बनाएंगे, जो सबसे ऊपर है, वह किसी भी देश के नियंत्रण मे नहीं रहेगा और हमारा देश ही सबसे ऊपर रहेगा।
- समाजवादी – जहाँ समाज मे सभी को समान अधिकार मिले कोई छोटा-बड़ा न हो और न ही किसी को कुछ ज्यादा मिले और न किसी को कम।
- पंथ-निरपेक्ष – पंथ का मतलब यहाँ धर्म से है, भारत मे कई धर्म के लोग निवास करते है। इससे मतलब है कि भारत के संविधान का कोई अपना धर्म नहीं है पर वह सभी के धर्म का समान रूप से आदर करेगा।
- लोकतंत्र व गणराज्य – जो शासन होगा तथा तंत्र होगी वह जनता के हाथ होगी, वही एक सरकार को बनाएगी और वही सरकार को शक्ति देगी देश को चलाने के लिए।
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Bhartiya Samvidhan Ki Prastavna Ke Pramukh Tathya
- 1960 मे बेरूबरी यूनियन वाद मे सुप्रीम कोर्ट ने प्रस्तावना को संविधान का अंग नहीं माना।
- फिर 1973 मे केशवानंध भारती बनाम केरल राज्य के वाद मे सुप्रीम कोर्ट ने प्रस्थावना को संविधान का अंग माना तथा इसमे संशोधन भी किया जा सकता है।
- 42 वें संविधान संशोधन मे Bhartiya Samvidhan Ki Prastavna मे समाजवाद, पंथनिरपेक्ष तथा अखण्डता को जोड़ दिया गया।
- सुप्रीम कोर्ट ने ही प्रस्तावना को संविधान की आत्मा कहा।
- संविधान की प्रस्तावना मे अबतक केवल एक ही बार संशोधन 42 वाँ संशोधन ही किया गया है।
संविधान के उद्देश्यों का परिचय (Introduction of Constitution)
प्रथम उद्देश्य
नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय उपलब्ध कराना, जिससे यहॉं न्याय कानूनी न्याय न होकर वितरणमूलक न्याय है जो न्याय का व्यापक रूप होता है और सबके लिए समान न्याय कि व्यवस्था होती है।
दूसरा उद्देश्य
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रदान करना, अन्य व्यक्तित्व की स्वतंत्रता को देखते हुए असीमित स्वतंत्रता किसी को भी प्रदान नहीं की जा सकती। स्वतंत्रता तबतक दी जाती है जबतक देश पर कोई आंच न आये।
तीसरा उद्देश्य
प्रत्यके व्यक्ति को प्रतिष्ठा एवं अवसर की समानता उपलब्ध कराना, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18 तक में विभिन्न प्रकार की समानताऍ उपलब्ध कराई गई हैं और असमानताओं का निषेध किया गया है, जिससे हर कोई देश मे खुल कर खुशी व आसानी से रह सके।
चौथा उद्देश्य
बंधुत्व की भावना का विकास करना-बंधुता का आदर्श फ्रॉस की क्रातिं का मुख्य आधार था और वहीं से यह सम्पूर्ण विश्व में फैला। भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता’ को बढ़ाने पर काफी ज्यादा बल दिया गया है।
इसे भी देखें – AIADMK Full Form English
तो आपको Bhartiya Samvidhan Ki Prastavna की जानकारी कैसी लगी नीचे कमेंट करके जरूर बताएं, मैने यहाँ भारतीय संविधान की प्रस्तावना से संबंधित काफी जानकारी दे दी है। अगर आपको इससे संबंधित और जानकारी चाहिए या फिर मैने कुछ छोड़ दिया है तो नीचे कमेंट जरूर करे। धन्यवाद…
संविधान की प्रस्तावना से संबंधित प्रश्न
भारतीय संविधान की प्रस्तावना मे कितना बार संशोधन हुआ है?
भारतीय संविधान मे केवल एक बार ही संशोधन हुआ है, 42वाँ संविधान संशोधन के द्वारा।
प्रस्तावना को संविधान की आत्मा किसने कहा?
प्रस्तावन को संविधान की आत्मा सुप्रीम कोर्ट ने कहा।
संविधान निर्माताओं ने किस पर विशेष ध्यान दिया था?
प्रस्तावना पर ध्यान दिया था।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना क्या है?
यह संविधान की आत्मा है, तथा इसी मे पूरे संविधान को बता दिया है कि संविधान मे क्या-क्या है किसके-किसके लिए।
भारत को गणतंत्र क्यों कहा जाता है?
यहां राज्य का प्रमुख निर्धारित अवधि के लिए निर्वाचित होता है।